SEBI का प्रस्ताव: गैर‑SEBI इंस्ट्रूमेंट रेट करने की मंज़ूरी
9 जुलाई 2025 को SEBI ने एक नया मसौदा पेश किया है जिसका मकसद है क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को SEBI‑रेगुलेटेड नहीं इंस्ट्रूमेंट्स (जैसे अनलिस्टेड सिक्योरिटीज) की रेटिंग की इजाजत देना। यह कदम वित्तीय बाज़ार में पारदर्शिता और विकास को बढ़ावा देने की दिशा में है।
📌 1. प्रस्ताव की मुख्य बातें
- नयी रेटिंग यूनिट: एजेंसियां छह महीने में अलग शाखा खोलेंगी
- ऑपरेशनल इंडिपेंडेंस अनिवार्य होगी
- रेटिंग के बदले वसूली जाने वाली फीस को स्पष्ट करने की व्यवस्था
💡 2. क्यों यह ज़रूरी है?
अनलिस्टेड इंस्ट्रूमेंट्स जैसे निजी कंपनियों और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की रेटिंग से निवेशकों और एम्फैसिस्ड पॉलिसी बनाने वालों को बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
📉 3. संभावित असर
- बाजार में नई रेटिंग पेशकश से कंपनियों को अनलिस्टेड फंड तक पहुँच मिलेगी
- रेटिंग एजेंसियों का व्यापार बढ़ेगा
- निगरानी और विश्वास प्रणाली मजबूत होगी
📌 निष्कर्ष
SEBI का यह प्रस्ताव वित्तीय बाजार की गहराइयों में सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है—जहां पारदर्शिता, भरोसा और विकास संगठित रूप से हो सकता है। अब इस पर आम राय और प्रतिक्रिया देखना दिलचस्प होगा।
🔍 अगली बार: “India’s new infrastructure lending rules: Moody’s रिपोर्ट का विश्लेषण” – कल सुबह 9 बजे।