RBI ₹1 Trillion Reverse Repo Auction July 2025: क्या है इसका असर?






RBI की ₹1 ट्रिलियन Reverse Repo Auction: क्या है और क्यों ज़रूरी?


RBI की ₹1 ट्रिलियन Reverse Repo Auction: क्या है, क्यों ज़रूरी और आम आदमी पर प्रभाव

Reverse Repo क्या है?

Reverse repo वह प्रक्रिया है जिसमें भारत का केंद्रीय बैंक (RBI) बैंकों से सिक्योरिटीज खरीदता है और बदले में उन्हें नकदी देता है — संक्षेप में, बैंक सिस्टम से अतिरिक्त नकदी जमा करने के लिए यह एक साधन होता है। यह Liquidity Adjustment Facility (LAF) का हिस्सा है 1।

क्या हुआ 9 जुलाई को?

RBI ने दो-दिन की variable rate reverse repo auction की घोषणा की है, जिसकी कुल राशि ₹1 ट्रिलियन है (~$11.7 बिलियन)। यह हाल ही में 4 जुलाई को हुई दूसरी ₹1 ट्रिलियन की VRRR के बाद है 2।

क्यों जरूरी है यह कदम?

  • बैंकिंग सिस्टम में भारी लिक्विडिटी—लगभग ₹3.75‑4 लाख करोड़ तक पहुंची है 3।
  • जब बैंक लोन देने की जगह सुरक्षित reverse repo में अपनी नकदी लगाते हैं, तो call money और treasury bill rates घट जाते हैं, जिससे policy transmission कमजोर होता है 4।
  • RBI चाहता है कि overnight rates policy repo rate corridor के बीच बने रहें, जिससे markets में rate stability बनी रहे 5।

इसका मतलब क्या?

अचानक ₹1 ट्रिलियन जमा करने से money market में short-term borrowing rates बढ़ेंगे, जिससे:

  • बैंक लोन देने पर जोर देंगे, क्योंकि reverse repo में पैसे लगाना महंगा पड़ता है।
  • call money rate और treasury bill yield में सुधार आएगा, जो monetary policy के उद्देश्यों से जुड़ा है।

बैंकों और आम आदमी पर असर

बैंकों के लिए:

  • Reserve funds सुरक्षित जगह पर डालने में लगेंगे।
  • अगर lending बढ़ता है, तो home/vehicle/business loan पर interest rate बेहतर मिल सकता है।

आम लोगों पर:

  • जब बैंकिंग sector में liquidity control होगी, तो loan rates पर असर हो सकता है—कभी NEFT/IMPS charges आदि पर भी थोड़े बदलाव हो सकते हैं।
  • बाजार में short-term rates का असर mutual funds और FD interest पर भी देखने को मिल सकता है।

वापसी की रणनीति—RBI का मकसद

RBI खरीदकर लिक्विडिटी तेज़ी से खत्म कर सकता है ताकि overnight rates policy corridor के बीच बने रहें — यह monetary sticker तब तक sustainable रहता है जब तक interest rate structure में ठीक transmission हो रहा है 6।

भविष्य की संभावना

• अगर banking liquidity overshoot करती है → RBI और reverse repo की frequency बढ़ा सकता है।
• दूसरे ओर, अगर liquidity demand बढ़ती है (loan demand, govt capex), तो RBI कुछ operations घटा सकता है।
• यही रणनीति समग्र रूप से inflation control, yield curve stability और growth balance के लिए जरूरी है।

निष्कर्ष

₹1 ट्रिलियन की reverse repo auction कोई सामान्य कदम नहीं है—यह एक संकेत है कि RBI monetary policy को interest rate corridor में रखने और banking liquidity को tight/manageable रखने का प्रयास कर रहा है। इससे समग्र वित्तीय स्थिरता को मदद मिलेगी और lending activity में उचित सुधार की संभावना बढ़ेगी।

Rishi, इस लेख को पोस्ट करने से पहले चाहें तो मैं इसे और infographic या reference links के साथ enhance भी कर सकता हूँ।


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