Bharat Bandh: Trade Unions Strike Protest – पूरी रिपोर्ट
9 जुलाई 2025 को भारत के 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने Bharat Bandh: Trade Unions Strike Protest का आयोजन किया। यह बंद सार्वजनिक क्षेत्र, बैंक, बीमा, कोयला, परिवहन और निर्माण श्रमिकों द्वारा किया गया, जिसमें करीब 25 करोड़ लोग शामिल हुए।
भारत बंद की पृष्ठभूमि और कारण
यह हड़ताल सरकार की “नियोक्ता-पक्षीय” नीतियों और तीन नए श्रम संहिताओं के खिलाफ थी। यूनियनों का आरोप है कि इन कानूनों से मजदूरों के अधिकार खत्म हो रहे हैं, जैसे कि यूनियन बनाना, सामूहिक सौदेबाज़ी और हड़ताल का अधिकार।
17 प्रमुख मांगें क्या हैं?
- नए श्रम कोड्स को रद्द किया जाए
- सरकारी कंपनियों और बैंकों का निजीकरण रोका जाए
- न्यूनतम वेतन ₹26,000 किया जाए
- पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए
- MGNREGA के तहत वेतन और काम के दिन बढ़ाए जाएं
- GST को आवश्यक वस्तुओं से हटाया जाए
- भर्ती में पारदर्शिता और समय पर परीक्षा कराई जाए
Bharat Bandh Protest 2025 के प्रभाव
बैंकिंग और बीमा सेवाओं पर असर
गुजरात सहित कई राज्यों में सरकारी बैंकों की हज़ारों शाखाएँ बंद रहीं। ₹15,000 करोड़ का ट्रांजैक्शन प्रभावित हुआ। बीमा और डाक सेवाएं भी रुकीं।
कोयला, परिवहन और ग्रामीण भारत
कोयला खदानों में उत्पादन रुका। सार्वजनिक परिवहन ठप रहा और कई राज्यों में ट्रेनों के संचालन में दिक्कत आई। Samyukta Kisan Morcha ने ग्रामीण भारत में बंद को सफल बनाया।
सरकारी प्रतिक्रिया और अगला कदम
सरकार ने बंद के प्रभाव को “सीमित” बताया, पर यूनियनों ने इसे सिरे से नकार दिया। अब देखना है कि क्या सरकार इन 17 मांगों पर बातचीत के लिए आगे आती है या नहीं।
निष्कर्ष
Bharat Bandh: Trade Unions Strike Protest एक महत्वपूर्ण संकेत है कि श्रमिक और किसान संगठनों में सरकार की आर्थिक और श्रम नीतियों के प्रति भारी असंतोष है। अब यह सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है कि वह इस जन आवाज़ को सुने और उचित कदम उठाए।