HDB Financial Services IPO: लिस्टिंग डेट, इश्यू साइज और कंपनी का परिचय
HDB Financial Services, जो कि HDFC Bank की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, भारत की प्रमुख गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) में से एक मानी जाती है। हाल ही में कंपनी ने शेयर बाजार में अपने आरंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO) के जरिए लिस्ट होने का निर्णय लिया, जो निवेशकों के लिए चर्चा का प्रमुख विषय बन गया। इस लेख में हम HDB Financial Services के IPO से संबंधित सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को विस्तार से समझेंगे।
IPO की लिस्टिंग डेट
HDB Financial Services का IPO 25 जून 2025 को सब्सक्रिप्शन के लिए खुला और 27 जून 2025 को बंद हुआ। कंपनी ने इसके बाद 30 जून को शेयरों का अलॉटमेंट किया और 2 जुलाई 2025 को शेयर बाजार में इसकी लिस्टिंग हुई। NSE और BSE पर लिस्ट होने के बाद, कंपनी के शेयरों में शुरुआती कारोबार के दौरान अच्छा खासा प्रीमियम देखा गया, जिससे निवेशकों में उत्साह और बढ़ गया।
IPO इश्यू साइज और मूल्य निर्धारण
HDB Financial Services का कुल IPO इश्यू साइज ₹12,500 करोड़ का था, जिसमें से ₹2,500 करोड़ का हिस्सा फ्रेश इश्यू था और ₹10,000 करोड़ ऑफर फॉर सेल (OFS) के माध्यम से प्रमोटर कंपनी HDFC Bank द्वारा ऑफर किया गया। इस इश्यू के तहत प्रति शेयर मूल्य ₹700 से ₹740 के प्राइस बैंड में निर्धारित किया गया था। एक लॉट में 20 शेयर शामिल थे, यानी एक खुदरा निवेशक के लिए न्यूनतम निवेश ₹14,000 से शुरू होता था।
कंपनी का परिचय
HDB Financial Services की स्थापना वर्ष 2007 में हुई थी। यह HDFC Bank की एक सहायक कंपनी है और यह भारत में विभिन्न प्रकार की ऋण सेवाएं प्रदान करती है। कंपनी मुख्य रूप से तीन प्रमुख सेगमेंट्स में कार्य करती है:
- Consumer Lending: पर्सनल लोन, गोल्ड लोन, टू-व्हीलर लोन जैसे उपभोक्ता ऋण सेवाएं।
- Enterprise Finance: छोटे और मझोले उद्यमों को व्यवसायिक ऋण।
- Asset Financing: व्यवसायिक वाहनों और उपकरणों के लिए ऋण।
कंपनी का नेटवर्क भारत के 31 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में फैला हुआ है, जिसकी कुल 1,772 शाखाएं हैं। 30 सितंबर 2024 तक कंपनी की कुल लोन बुक ₹98,620 करोड़ और AUM ₹90,230 करोड़ थी।
वित्तीय प्रदर्शन
HDB Financial Services का वित्तीय प्रदर्शन भी काफी मजबूत रहा है। FY24 में कंपनी ने ₹2,460.8 करोड़ का शुद्ध लाभ दर्ज किया, वहीं ROE 19.55% और ROA 3.03% रहा। ग्रॉस एनपीए 1.90% और नेट एनपीए 0.63% पर नियंत्रित रहा, जो यह दर्शाता है कि कंपनी की ऋण संग्रह नीति मजबूत है।
सब्सक्रिप्शन की स्थिति
IPO को निवेशकों का जबरदस्त समर्थन मिला। कुल मिलाकर IPO को लगभग 17 गुना ओवरसब्सक्राइब किया गया, जिसमें QIB (Qualified Institutional Buyers) द्वारा लगभग 55 गुना, NII (Non-Institutional Investors) द्वारा 10 गुना और रिटेल निवेशकों द्वारा 1.5 गुना से अधिक सब्सक्रिप्शन किया गया।
एंकर निवेशकों का योगदान
IPO के पहले दिन ही कंपनी ने ₹3,369 करोड़ की रकम एंकर निवेशकों से जुटा ली थी। इनमें LIC, BlackRock, Norges Bank, ADIA जैसे प्रमुख वैश्विक और घरेलू संस्थागत निवेशक शामिल थे।
ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP)
IPO से पहले कंपनी के शेयर ग्रे मार्केट में ₹57 से ₹70 के प्रीमियम पर ट्रेड कर रहे थे, जिससे यह स्पष्ट था कि लिस्टिंग के दिन शेयर ₹800 से ऊपर खुल सकते हैं। निवेशकों को इससे प्रारंभिक लाभ की संभावना दिखाई दी।
शेयरहोल्डिंग संरचना
IPO से पहले HDFC Bank के पास HDB Financial Services में लगभग 94% हिस्सेदारी थी, जो इस इश्यू के बाद घटकर 74% के करीब आ गई। इस लिस्टिंग के जरिए HDFC Bank को अपने निवेश के एक हिस्से को नकदी में बदलने का अवसर मिला, साथ ही कंपनी को नए फंड्स के माध्यम से विस्तार करने की सुविधा भी प्राप्त हुई।
HDB Financial Services की विशेषताएँ
- HDFC Group का समर्थन और प्रबंधन विशेषज्ञता
- भारत में मजबूत शाखा नेटवर्क और ग्राहक आधार
- उच्च क्रेडिट ग्रोथ और नियंत्रित एनपीए
- नवीन तकनीकों का उपयोग और डिजिटल सेवाओं का विकास
जोखिम और चुनौतियाँ
हालांकि कंपनी का प्रदर्शन अच्छा है, लेकिन निवेश से पहले कुछ संभावित जोखिमों पर ध्यान देना जरूरी है:
- NBFC सेक्टर पर RBI की सख्त नियामक नीतियाँ
- ब्याज दरों में अस्थिरता
- क्रेडिट जोखिम – उधारकर्ताओं की भुगतान क्षमता
- मंदी के समय कलेक्शन में गिरावट की संभावना
निष्कर्ष
HDB Financial Services का IPO भारत के अब तक के सबसे बड़े NBFC इश्यू में से एक रहा है। मजबूत वित्तीय स्थिति, HDFC Bank का समर्थन, और व्यापक नेटवर्क इसे निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं। हालांकि, निवेश से पहले किसी वित्तीय सलाहकार से परामर्श लेना उचित रहेगा, विशेषकर उन निवेशकों के लिए जो दीर्घकालिक निवेश की योजना बना रहे हैं।
इस IPO के माध्यम से न केवल कंपनी को कैपिटल बढ़ाने में मदद मिली, बल्कि यह भारतीय वित्तीय बाजार में एक और सशक्त NBFC की उपस्थिति को भी दर्शाता है।