Sakshi Ranawat – भीलवाड़ा की साधारण लड़की से इंस्टा स्टार तक
भीलवाड़ा, राजस्थान की गलियों में पली-बढ़ी साक्षी राणावत आज लाखों दिलों की धड़कन हैं। लेकिन उनकी कहानी सिर्फ इंस्टाग्राम रील्स या वायरल वीडियोज़ तक सीमित नहीं — ये एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसने हार के बीच भी खुद को खड़ा किया, और अपने सपनों की नई पहचान गढ़ी।
शुरुआती दिन: सपनों की पहली सीढ़ी
2 अगस्त 2004 को जन्मी साक्षी, अपने परिवार की बड़ी बेटी हैं। पिता महावीर सिंह राणावत राजस्थान पुलिस में हैं, माँ दुर्गा कँवर हमेशा उनकी सबसे बड़ी ताकत रहीं, और भाई संदीप सिंह उनके सबसे प्यारे दोस्त। बचपन में साक्षी का सपना था — पापा की तरह पुलिस ऑफिसर बनना।
लेकिन जिंदगी की राहें सीधी कहाँ होती हैं? पढ़ाई में मन कम लगता था, पर दिल में कुछ कर दिखाने की चाह हमेशा रही। B.A. की पढ़ाई के दौरान उनका ध्यान सोशल मीडिया की ओर खिंचने लगा — वो न सिर्फ एक नया शौक था, बल्कि शायद उनके अंदर छुपा हुनर था, जिसे खुद वो भी नहीं पहचानती थीं।
संघर्ष की वो रातें
कॉलेज के दिनों में साक्षी दूसरों से फोन उधार लेकर बाइक स्टंट की वीडियो बनातीं, नई-नई इंस्टाग्राम आईडी बनाकर पोस्ट करतीं, लेकिन व्यूज़ न के बराबर आते। हिम्मत जवाब देने लगी, तो उन्होंने इंस्टाग्राम तक डिलीट कर दिया। वो बताती हैं, “कई बार लगता था, मेरे पास खुद का फोन तक नहीं… क्यों करूँ ये सब?”
लेकिन जब मन बिखरने लगा, तो उन्होंने खुद को संभाल लिया — शिवजी की भक्ति में डूब गईं, धीरे-धीरे अपनी परेशानियों से ध्यान हटाकर आत्मविश्वास दोबारा जगाया। साक्षी मानती हैं, यही दौर था जिसने उन्हें असली ताकत दी — हार मानने के बजाय खुद को पहचानने की।
सफलता की पहली किरण
सगाई के बाद जब उन्होंने खुद का iPhone खरीदा, एक दिन यूँ ही भजन पर वीडियो बनाई और पोस्ट की — अगले दिन देखा, 5 लाख से ज़्यादा व्यूज़! “मैंने वो पल भगवान को thank you बोलते हुए बिताया,” साक्षी हँसते हुए बताती हैं। यहीं से उनकी नई शुरुआत हुई।
गर्व और आँसू के पल
उनकी सबसे बड़ी खुशी? “जब पापा के दोस्त मेरे वीडियो की तारीफ़ करते हैं और पापा मुझे कॉल करके बताते हैं — वो पल priceless होता है।”
मंदिर में फॉलोअर्स ने जब पहचानकर उनके पैर छुए और आशीर्वाद माँगा, तब साक्षी को एहसास हुआ कि वो सिर्फ वीडियो नहीं, दिलों तक पहुँच बना रही हैं।
माँ, प्रेरणा और सपने
साक्षी के लिए उनकी माँ सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। “मैं जो भी हूँ, माँ की वजह से हूँ,” वो मुस्कुराकर कहती हैं। उनका सपना है — अपने माता-पिता के सारे सपने पूरे करना।
युवा दिलों के लिए संदेश
“कभी हार मत मानो। भगवान पर भरोसा रखो, मेहनत करते रहो — रास्ते खुद बनते जाएंगे। जिंदगी में हर असफलता तुम्हें अगली सीढ़ी के लिए तैयार करती है। राधे राधे।”
अंत में…
साक्षी राणावत की कहानी हमें सिखाती है कि छोटे शहरों के सपने भी बड़े होते हैं। और असली जीत वही है, जो दिल से लड़ी जाए।