Digital Voting India 2025: भारत में पहला Voter ID लिंक्ड डिजिटल वोटिंग पायलट
2025 में भारत ने चुनावी प्रक्रिया में ऐतिहासिक कदम रखते हुए डिजिटल वोटिंग का पहला पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया। कुछ शहरी क्षेत्रों जैसे हैदराबाद, पुणे और गांधीनगर में Voter ID लिंक्ड ई-वोटिंग सिस्टम का परीक्षण किया गया, जिसमें वोटर मोबाइल या वेब के माध्यम से घर बैठे वोट डाल सके। यह प्रयोग भारत में चुनावों को पारदर्शी, सुरक्षित और सुलभ बनाने की दिशा में बड़ी पहल माना जा रहा है।
पायलट प्रोजेक्ट के मुख्य बिंदु
- Voter ID + OTP + आधार आधारित सत्यापन प्रक्रिया
- मोबाइल और वेब आधारित वोटिंग प्लेटफॉर्म
- ब्लॉकचेन तकनीक के जरिये डेटा सुरक्षा
- शहरी टेक वॉलंटियर्स की निगरानी में संचालन
संभावित फायदे
- बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं को सुविधा
- दूसरे शहरों में रहने वाले लोग भी वोट डाल सकते हैं
- मतदान केंद्रों पर लंबी कतारों से राहत
- कुल मतदान प्रतिशत में संभावित वृद्धि
संभावित चुनौतियां
- साइबर सुरक्षा और डेटा चोरी का जोखिम
- डिजिटल साक्षरता की कमी, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में
- फर्जी वोटिंग और पहचान की डुप्लिकेशन की आशंका
- राजनीतिक दलों के भीतर असहमति और आशंकाएं
क्या 2029 का लोकसभा चुनाव डिजिटल होगा?
फिलहाल इस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन चुनाव आयोग ने संकेत दिए हैं कि यदि 2025 का पायलट सफल रहता है, तो 2029 तक डिजिटल वोटिंग को वैकल्पिक विकल्प के रूप में लागू किया जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
एस्टोनिया, स्विट्जरलैंड और कनाडा जैसे देशों में ई-वोटिंग के सफल प्रयोग हो चुके हैं। हालांकि, भारत जैसे बड़े और विविधतापूर्ण लोकतंत्र में इसे स्केलेबल बनाना एक चुनौती होगा। सही तकनीक और पारदर्शिता से यह देश के चुनावी परिदृश्य को बदल सकता है।
निष्कर्ष
भारत का पहला Voter ID लिंक्ड डिजिटल वोटिंग पायलट सिर्फ एक तकनीकी प्रयोग नहीं, बल्कि लोकतंत्र को आधुनिक और समावेशी बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यदि इसे पूरी तैयारी और पारदर्शिता के साथ लागू किया जाता है, तो यह भविष्य में भारतीय चुनावों का चेहरा बदल सकता है।
आपकी राय क्या है? क्या भारत में डिजिटल वोटिंग लागू होनी चाहिए? नीचे कमेंट में अपनी राय साझा करें।