Mirzapur Season 3 Review – धमाका या धोखा? जानें पूरी कहानी
गुड्डू पंडित की बंदूकें फिर से गरजी हैं, लेकिन क्या इस बार कहानी ने उतना ही ज़ोर मारा है? Mirzapur Season 3 आखिरकार रिलीज़ हो चुका है और फैंस का इंतज़ार खत्म हुआ। लेकिन इस बार एक्शन के साथ राजनीति और इमोशन का तड़का ज़रूर है, पर क्या वो असरदार है? आइए जानते हैं इस रिव्यू में।
कहानी में क्या है नया?
कालीन भैया के जाने के बाद मिर्जापुर का ताज किसके सिर सजेगा, यही है इस सीज़न की बड़ी जंग। गुड्डू भैया अपनी सत्ता जमाने की कोशिश में हैं लेकिन हर तरफ से उन्हें चुनौतियां मिल रही हैं – पुलिस से लेकर अपने ही लोगों तक।
इस बार कहानी में राजनीतिक चालें, नए चेहरे और अतीत की परछाइयाँ दिखती हैं। हालांकि शुरुआत में कहानी थोड़ी धीमी है लेकिन मिड सीज़न के बाद पेस पकड़ लेती है।
एक्टिंग परफॉर्मेंस
- अली फज़ल (गुड्डू भैया) – इस बार ज़्यादा गुस्से में और कम इमोशनल, रोल में गहराई की कमी
- पंकज त्रिपाठी (कालीन भैया) – सीमित स्क्रीन टाइम, लेकिन हर सीन में जान डाल दी
- श्वेता त्रिपाठी (गोलू) – संयमित और सधा हुआ परफॉर्मेंस
- नई कास्ट: कुछ नए चेहरे हैं, लेकिन इम्पैक्ट उतना गहरा नहीं छोड़ते
डायरेक्शन और सिनेमैटोग्राफी
डायरेक्शन में इस बार गहराई और राजनीति को अधिक महत्व दिया गया है। बैकग्राउंड म्यूजिक और कैमरा वर्क सीज़न 2 से बेहतर है, लेकिन स्क्रीनप्ले में कुछ जगहों पर खिंचाव महसूस होता है।
क्या आपको देखनी चाहिए?
अगर आप Mirzapur Universe के पुराने फैन हैं तो यह सीज़न एक बार जरूर देख सकते हैं। लेकिन अगर आप उम्मीद कर रहे हैं कि हर एपिसोड में सीटीमार डायलॉग और खून-खराबा होगा, तो थोड़ा धैर्य रखना पड़ेगा।
रेटिंग
- कहानी – ⭐⭐⭐
- एक्टिंग – ⭐⭐⭐⭐
- बैकग्राउंड स्कोर – ⭐⭐⭐⭐
- स्क्रीनप्ले – ⭐⭐✨
- कुल रेटिंग: ⭐⭐⭐.5 / 5
निष्कर्ष
Mirzapur Season 3 में सत्ता, बदला और राजनीति का नया मिक्स है। हालांकि कुछ हिस्सों में रफ्तार कम है, लेकिन कुल मिलाकर यह सीज़न Mirzapur की गहराई को और विस्तार देता है। एक्शन कम है लेकिन इमोशन और पॉलिटिक्स ज्यादा है।
क्या आपने देखा मिर्जापुर का नया सीज़न? आपका फेवरेट डायलॉग क्या था? कमेंट में जरूर बताएं!